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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर Printed by: प्रभापुंज मिश्रा Up to date Fri, 15 Oct 2021 12:46 PM IST
पूरा देश जहां दशहरा के दिन रावण दहन कर खुशियां मनाता है, वहीं कुछ लाेग ऐसे भी हैं जाे रावण के सौ साल पुराने मंदिर में विशेष अराधना करते हैं। यह पूजा केवल दशहरे के दिन ही हाेती है। कानपुर के शिवाला में दशानन शक्ति के प्रहरी के रूप में विराजमान हैं। पूरा देश जहां दशहरा के दिन रावण दहन कर खुशियां मनाता है, वहीं कुछ लाेग ऐसे भी हैं जाे रावण के सौ साल पुराने मंदिर में विशेष अराधना करते हैं। यह पूजा केवल दशहरे के दिन ही हाेती है। कानपुर के शिवाला में दशानन शक्ति के प्रहरी के रूप में विराजमान हैं। विजयदशमी को सुबह मंदिर में प्रतिमा का श्रृंगार-पूजन कर कपाट खोले जाते हैं। शाम को आरती उतारी जाती है। यह कपाट साल में सिर्फ एक बार दशहरा के दिन ही खुलते हैं। मां भक्त मंडल के संयोजक केके तिवारी बताते हैं कि वर्ष 1868 में महाराज गुरु प्रसाद शुक्ल ने मंदिर का निर्माण कराया था। वे भगवान शिव के परम भक्त थे।
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