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एजेंसी, नई दिल्ली
Revealed by: देव कश्यप
Up to date Tue, 28 Sep 2021 02:19 AM IST
सार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत द्वारा समन या प्रक्रिया जारी करना एक बहुत ही गंभीर मामला है। इसलिए जब तक असामान्य आरोप न हो तब तक मजिस्ट्रेट को समन नहीं जारी करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि किसी मजिस्ट्रेट को आरोपी को तब तक समन नहीं करना चाहिए जब तक कि कोई असामान्य आरोप न हो। यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने एक हाईकोर्ट द्वारा आपराधिक मामले में जारी समन को रद्द करने के आदेश को चुनौती देने वाली शिकायतकर्ता की अपील को खारिज कर दिया।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि मजिस्ट्रेट को आरोपी को अदालत में तलब करने के लिए प्रथमदृष्टया मामले में संतुष्ट होना चाहिए। पीठ ने कहा कि अदालत द्वारा समन या प्रक्रिया जारी करना एक बहुत ही गंभीर मामला है। इसलिए जब तक असामान्य आरोप न हो तब तक मजिस्ट्रेट को समन नहीं जारी करना चाहिए। पीठ ने यह टिप्पणी उस अपील की सुनवाई करते हुए की जिसमें एक व्यक्ति ने एक कंपनी, इसके डायरेक्टर और अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत शिकायत दर्ज कराई थी।
ट्रायल कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ समन जारी कर दिया। बाद में सेशन कोर्ट ने आदेश को दरकिनार कर दिया और उसके फैसले को हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक किसी के खिलाफ असामान्य आरोप और दावे नहीं होते हैं तब तक किसी आरोपी को परोक्ष तौर पर जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। पीठ ने अपने फैसले में कहा कि मजिस्ट्रेट द्वारा आरोपी के खिलाफ समन जारी करने के आदेश से ऐसा प्रतीत नहीं होता है कि विद्वान मजिस्ट्रेट ने प्रथमदृष्टया मामले को लेकर अपनी संतुष्टि की।
विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि किसी मजिस्ट्रेट को आरोपी को तब तक समन नहीं करना चाहिए जब तक कि कोई असामान्य आरोप न हो। यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने एक हाईकोर्ट द्वारा आपराधिक मामले में जारी समन को रद्द करने के आदेश को चुनौती देने वाली शिकायतकर्ता की अपील को खारिज कर दिया।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि मजिस्ट्रेट को आरोपी को अदालत में तलब करने के लिए प्रथमदृष्टया मामले में संतुष्ट होना चाहिए। पीठ ने कहा कि अदालत द्वारा समन या प्रक्रिया जारी करना एक बहुत ही गंभीर मामला है। इसलिए जब तक असामान्य आरोप न हो तब तक मजिस्ट्रेट को समन नहीं जारी करना चाहिए। पीठ ने यह टिप्पणी उस अपील की सुनवाई करते हुए की जिसमें एक व्यक्ति ने एक कंपनी, इसके डायरेक्टर और अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत शिकायत दर्ज कराई थी।
ट्रायल कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ समन जारी कर दिया। बाद में सेशन कोर्ट ने आदेश को दरकिनार कर दिया और उसके फैसले को हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक किसी के खिलाफ असामान्य आरोप और दावे नहीं होते हैं तब तक किसी आरोपी को परोक्ष तौर पर जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। पीठ ने अपने फैसले में कहा कि मजिस्ट्रेट द्वारा आरोपी के खिलाफ समन जारी करने के आदेश से ऐसा प्रतीत नहीं होता है कि विद्वान मजिस्ट्रेट ने प्रथमदृष्टया मामले को लेकर अपनी संतुष्टि की।
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