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राजीव सिन्हा, अमर उजाला, नई दिल्ली
Revealed by: प्रशांत कुमार झा
Up to date Fri, 01 Oct 2021 12:11 PM IST
सार
जंतर मंतर पर प्रदर्शन की मांग करने वाले किसान महापंचायत की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि शहर का दम घोंटने के बाद अब आप शहर के अंदर आकर प्रदर्शन करना चाहते हैं। इसकी इजाजत आपको नहीं दी जा सकती है।
राष्ट्रीय राजमार्ग पर प्रदर्शन करते किसान
– फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि एक बार कानूनों को अदालतों में चुनौती देने के बाद विरोध करने वाले किसानों को विरोध जारी रखने के बजाय व्यवस्था और अदालतों में अपना विश्वास करना चाहिए। पीठ ने कहा, ‘आपको प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन राजमार्गों को ब्लॉक कर लोगों को परेशानी में नहीं डाल सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा,’ पहले आप शहर के बाहर सड़कों को अवरोध किया और अब आप शहर के भीतर आना चाहते हैं। जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है।
प्रदर्शन करने की इजाजत कैसे दी जा सकती- सुप्रीम कोर्ट
पीठ ने कहा कि प्रदर्शन कर रहे किसान यातायात बाधित कर रहे हैं, ट्रेनों और राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध कर रहे हैं। सुरक्षा कर्मियों को निशाना बना रहे हैं, सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और फिर भी प्रदर्शन करने की मांग के लिए याचिका दायर कर रहे हैं। ऐसे में प्रदर्शन करने की इजाजत कैसे दी जा सकती है। मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी।
Supreme Court docket pulls up Kisan Mahapanchayat for approaching the courtroom to proceed the protests by blocking the Nationwide Highways in Delhi-NCR. Supreme Court docket says protesting farmers are obstructing site visitors, blocking trains and nationwide highways. pic.twitter.com/1m7vznYa2j
— ANI (@ANI) October 1, 2021
महापंचायत संगठन से हलफनामा दायर करने की मांग
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता किसान महापंचायत संगठन से कहा, पहले आप हलफनामा दायर कर बताए कि फिलहाल सीमाओं पर बैठे प्रदर्शकारियों से आपका कोई संबंध तो नहीं है। सर्वोच्च अदालत ने याचिका की प्रति केंद्रीय एजेंसी और अटॉर्नी जनरल को देने का भी आदेश जारी किया है।
सड़कों से प्रदर्शन हटाने के लिए क्या कर रही सरकार
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि वह राष्ट्रीय राजधानी में तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों द्वारा सड़क की ‘नाकेबंदी’ को हटाने के लिए क्या कर रही है? शीर्ष अदालत ने एक बार फिर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कि सड़कों को हमेशा के लिए कब्जा नहीं किया जा सकता।
गुरुवार को जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि किसी समस्या का समाधान न्यायिक मंच, आंदोलन या संसदीय बहस के माध्यम से किया जा सकता है , लेकिन सड़कों को अवरुद्ध नहीं किया जा सकता है और यह एक स्थायी समस्या नहीं हो सकती है। पीठ ने कहा, ‘हम पहले ही कानून बना चुके हैं और आपको इसे लागू करना होगा। अगर हम अतिक्रमण करते हैं तो आप कह सकते हैं कि हमने आपके अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण किया है। कुछ शिकायतें हैं जिनका निवारण किया जाना चाहिए।
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