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सार
आयोग ने सजा को निलंबित करते हुए बिल्डर को एक सप्ताह के अंदर 1.79 करोड़ रुपये जमा कराने को कहा है। ऐसा नहीं करने पर एक सप्ताह बाद आयोग का आदेश लागू हो जाएगा।
प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : social media
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विस्तार
आयोग ने यह आदेश सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर कंवल बत्रा और उनकी बेटी रूही बत्रा की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया। बिल्डर की तरफ से दी जाने वाली रकम ब्रिगेडियर बत्रा व उनकी बेटी को ही दी जाएगी।
आयोग के पीठासीन सदस्य सी. विश्वनाथ और जस्टिस राम सूरत राम मौर्य ने सोमवार को दिए फैसले में कहा, हम जानते हैं कि आप (सुपरटेक) खरीदार की रकम का कैसे भुगतान करेंगे।
आयोग ने कहा, निर्देश का पालन न करने और अपनी प्रतिबद्धता का अनादर करने को ध्यान में रखकर हम कंपनी के प्रबंध निदेशक को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम,1986 की धारा-27 के तहत तीन साल कैद की सजा सुनाते हैं। साथ ही उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी करते हैं। यदि सुपरटेक एक सप्ताह के भीतर इस आयोग के समक्ष रकम जमा कर देता है तो वारंट को तामील नहीं किया जाएगा।
एक करोड़ रुपये लेकर भी नहीं दिया विला
सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर कंवल बत्रा और उनकी बेटी रूही बत्रा ने सुपरटेक के अपकंट्री प्रोजेक्ट में संयुक्त रूप से एक विला खरीदा था। सुपरटेक बिल्डर की ओर से दिसंबर 2013 में लगभग 1.03 करोड़ रुपये की इस विला का ऑफर दिया गया था।
बिल्डर ने विला का कब्जा अगस्त 2014 में देने का वादा किया था। लेकिन परियोजना के लिए उचित मंजूरी नहीं होने के अभाव में सुपरटेक इस विला का कब्जा नहीं दे सका और न ही उसने ब्याज के साथ रकम वापस करने के आयोग के 2019 के फैसले का पालन किया।
एक माह में दूसरी बार करारा झटका
एक महीने के भीतर सुपरटेक को दूसरी बार करारा झटका लगा है। इससे पहले 21 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा में सुपरटेक की एमराल्ड कोर्ट परियोजना के दो 40-मंजिला आवासीय टावरों को ढहाने का आदेश दिया था।
उस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को इमारत के मानदंडों का गंभीर उल्लंघन का दोषी माना था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि बिल्डर व नोएडा विकास प्राधिकरण की मिलीभगत से उन टावरों का अवैध निर्माण हुआ था।
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