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सार
मृत्यु से ठीक पहले साल 1950 में अहमदाबाद में पटेल का आखिरी भाषण था- यहां से गया न होता तो शहर की सूरत बदल देता। ‘सरदार पटेल-एक सिंह पुरुष’ के लेखक और इतिहास के प्रोफेसर डा. रिजवान कादरी बताते हैं कि 1933 में महात्मा गांधी ने कहा था कि -जहां तक मेरी नजर जाती है, सरदार का काम दिखता है।
सरदार पटेल का जन्मस्थान।
– फोटो : Amar Ujala
अहमदाबाद में सरदार पटेल का निवास रहा 104 साल पुराना भवन 1970 से सरदार पटेल मेमोरियल सोसाइटी की सुपुर्दगी में है। स्मारक के केयरटेकर डा. नाथाभाई वी. पटेल स्टाफ के बारे में बताते हैं कि एक मैं हूं महाप्रबंधक और दूसरा पार्टटाइम स्वीपर। पहले माले का पटेल का कमरा आज भी बंद ही रहता है। उनकी इस्तेमाल की गई वस्तुएं आज अच्छी हालत में नहीं हैं। स्टाफ और फंड की कमी साफ दिखती है।
मृत्यु से ठीक पहले साल 1950 में अहमदाबाद में पटेल का आखिरी भाषण था- यहां से गया न होता तो शहर की सूरत बदल देता। ‘सरदार पटेल-एक सिंह पुरुष’ के लेखक और इतिहास के प्रोफेसर डाॅ. रिजवान कादरी बताते हैं कि 1933 में महात्मा गांधी ने कहा था कि -जहां तक मेरी नजर जाती है, सरदार का काम दिखता है। वे अहमदाबाद के आधुनिक निर्माता हैं।
एक बार छह दिन तक लगातार बारिश हुई, सारा शहर पानी में डूब गया, वे रोज भरे पानी में पैदल दौरा करते। नगरपालिका के चेयरमैन रहते भी 11 नंबर की सरकारी बस से चलते थे। अहमदाबाद में न्यू ब्रह्मशक्ति हाउसिंग सोसाइटी का 25 नंबर प्लाट सरदार को उस वक्त दो रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर पर आवंटित हुआ, लेकिन पैसे का इंतजाम न होने पर उन्होंने 1933 में इसे सरेंडर कर दिया था।
- 31 अक्तूबर 1875-जन्म।
- 1900- 25 साल में कानून की डिग्री।
- 1909- महज 34 साल में ही विधुर हो गए।
- 1910- बैरिस्टर बनने इंग्लैंड गए।
- 1913- अहमदाबाद लौटे और वकालत शुरू की।
- 1916- गांधी जी का मजाक उड़ाने वाले सरदार की गुजरात क्लब में पहली बार उनसे मुलाकात।
- 1917- अहमदाबाद म्यूनिसिपलिटी में सदस्य बने।
- 1918- खेड़ा में किसान सत्याग्रह का नेतृत्व। गांधी जी के कट्टर अनुयायी बने।
- 1920- उनकी अगुवाई में कांग्रेस ने अहमदाबाद म्यूनिसिपलटी के चुनाव के सभी वार्ड जीते।
- 1921- गुजरात कांग्रेस कमेटी के पहले अध्यक्ष।
- 1925- अहमदाबाद म्यूनिसिपलिटी के चेयरमैन।
- 1928- म्यूनिसिपलटी का अध्यक्ष पद त्यागा। बारदोली सत्याग्रह में सरदार की उपाधि पाई।
- 1930- दांडी यात्रा के दौरान खेड़ा जिले में गिरफ्तार, दो साल बाद फिर डेढ़ साल के लिए जेल गए।
- 1942- भारत छोड़ो आंदोलन में गिरफ्तार। 1040 दिनों के लिए जेल भेजे गए।
- 1947- सोमनाथ मंदिर का पुनर्निमाण। आजाद देश के उपप्रधानमंत्री, गृहमंत्री, सूचनामंत्री बने।
- 1949- सभी 565 रजवाड़ों का भारत में विलय।
- 1950- चीन व कश्मीर पर नेहरू की नीतियों की आलोचना। 7 नवंबर को पद त्याग की इच्छा जताई। 15 दिसंबर को देह त्याग।
आज जाति की राजनीति चरम पर है। सरदार पटेल इसके सख्त विरोधी रहे और ऐसी सोच को विकास की राह का रोड़ा मानते थे। इतिहासकार उर्विश कोठारी बताते हैं कि सरदार पटेल व उनके बड़े भाई बैरिस्टर व स्वतंत्रता आंदोलनकारी विठ्ठलभाई पटेल जब लंदन में वकालत पढ़ रहे थे तो वहां बसे पटेल जाति के व्यवसायियों ने उनका सम्मान करना चाहा तो उन्होंने जातिविशेष के इस निमंत्रण को सख्ती से ठुकरा दिया।
विस्तार
अहमदाबाद में सरदार पटेल का निवास रहा 104 साल पुराना भवन 1970 से सरदार पटेल मेमोरियल सोसाइटी की सुपुर्दगी में है। स्मारक के केयरटेकर डा. नाथाभाई वी. पटेल स्टाफ के बारे में बताते हैं कि एक मैं हूं महाप्रबंधक और दूसरा पार्टटाइम स्वीपर। पहले माले का पटेल का कमरा आज भी बंद ही रहता है। उनकी इस्तेमाल की गई वस्तुएं आज अच्छी हालत में नहीं हैं। स्टाफ और फंड की कमी साफ दिखती है।
मृत्यु से ठीक पहले साल 1950 में अहमदाबाद में पटेल का आखिरी भाषण था- यहां से गया न होता तो शहर की सूरत बदल देता। ‘सरदार पटेल-एक सिंह पुरुष’ के लेखक और इतिहास के प्रोफेसर डाॅ. रिजवान कादरी बताते हैं कि 1933 में महात्मा गांधी ने कहा था कि -जहां तक मेरी नजर जाती है, सरदार का काम दिखता है। वे अहमदाबाद के आधुनिक निर्माता हैं।
एक बार छह दिन तक लगातार बारिश हुई, सारा शहर पानी में डूब गया, वे रोज भरे पानी में पैदल दौरा करते। नगरपालिका के चेयरमैन रहते भी 11 नंबर की सरकारी बस से चलते थे। अहमदाबाद में न्यू ब्रह्मशक्ति हाउसिंग सोसाइटी का 25 नंबर प्लाट सरदार को उस वक्त दो रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर पर आवंटित हुआ, लेकिन पैसे का इंतजाम न होने पर उन्होंने 1933 में इसे सरेंडर कर दिया था।
पटेल पथ
- 31 अक्तूबर 1875-जन्म।
- 1900- 25 साल में कानून की डिग्री।
- 1909- महज 34 साल में ही विधुर हो गए।
- 1910- बैरिस्टर बनने इंग्लैंड गए।
- 1913- अहमदाबाद लौटे और वकालत शुरू की।
- 1916- गांधी जी का मजाक उड़ाने वाले सरदार की गुजरात क्लब में पहली बार उनसे मुलाकात।
- 1917- अहमदाबाद म्यूनिसिपलिटी में सदस्य बने।
- 1918- खेड़ा में किसान सत्याग्रह का नेतृत्व। गांधी जी के कट्टर अनुयायी बने।
- 1920- उनकी अगुवाई में कांग्रेस ने अहमदाबाद म्यूनिसिपलटी के चुनाव के सभी वार्ड जीते।
- 1921- गुजरात कांग्रेस कमेटी के पहले अध्यक्ष।
- 1925- अहमदाबाद म्यूनिसिपलिटी के चेयरमैन।
- 1928- म्यूनिसिपलटी का अध्यक्ष पद त्यागा। बारदोली सत्याग्रह में सरदार की उपाधि पाई।
- 1930- दांडी यात्रा के दौरान खेड़ा जिले में गिरफ्तार, दो साल बाद फिर डेढ़ साल के लिए जेल गए।
- 1942- भारत छोड़ो आंदोलन में गिरफ्तार। 1040 दिनों के लिए जेल भेजे गए।
- 1947- सोमनाथ मंदिर का पुनर्निमाण। आजाद देश के उपप्रधानमंत्री, गृहमंत्री, सूचनामंत्री बने।
- 1949- सभी 565 रजवाड़ों का भारत में विलय।
- 1950- चीन व कश्मीर पर नेहरू की नीतियों की आलोचना। 7 नवंबर को पद त्याग की इच्छा जताई। 15 दिसंबर को देह त्याग।
जब सरदार ने ठुकरा दिया पटेलों का न्योता
आज जाति की राजनीति चरम पर है। सरदार पटेल इसके सख्त विरोधी रहे और ऐसी सोच को विकास की राह का रोड़ा मानते थे। इतिहासकार उर्विश कोठारी बताते हैं कि सरदार पटेल व उनके बड़े भाई बैरिस्टर व स्वतंत्रता आंदोलनकारी विठ्ठलभाई पटेल जब लंदन में वकालत पढ़ रहे थे तो वहां बसे पटेल जाति के व्यवसायियों ने उनका सम्मान करना चाहा तो उन्होंने जातिविशेष के इस निमंत्रण को सख्ती से ठुकरा दिया।
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