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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Printed by: सुरेंद्र जोशी
Up to date Tue, 21 Sep 2021 10:25 PM IST
सार
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) की बैठक निरस्त कर दी गई है। पिछले साल कोरोना महामारी के चलते सार्क की वर्चुअल बैठक हुई थी।
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विस्तार
यह बैठक संयुक्त राष्ट्र्र महासभा के न्यूयॉर्क में जारी सत्र के दौरान इसी सप्ताह होने वाली थी। माना जा रहा था कि नेपाल इसकी मेजबानी करेगा, लेकिन अफगानिस्तान की सदस्यता को लेकर सदस्य देशों में सहमति नहीं बन रही थी। बता दें, अफगानिस्तान में पिछले माह तालिबान ने सत्ता पर कब्जा कर लिया है, लेकिन उसे अभी अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिल पाई है। ऐसे में सवाल यह था कि सार्क बैठक में उसका प्रतिनिधित्व कौन करेगा? पाकिस्तान तालिबान सरकार की ओर से प्रतिनिधित्व की कोशिश में जुटा था, लेकिन अब बैठक ही निरस्त हो गई है, इसलिए उसके प्रयासों पर भी पानी फिर गया।
पिछले साल कोरोना महामारी के चलते सार्क की वर्चुअल बैठक हुई थी। इससे पहले 2019 में सार्क विदेश मंत्रियों की औपचारिक बैठक हुई थी। भारत में आतंकी हमलों के बीच हुई इस बैठक में इसमें भारत व पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने एक दूसरे के भाषणों का बहिष्कार किया था।
तालिबान के शीर्ष मंत्री संयुक्त राष्ट्र की काली सूची में
उल्लेखनीय है कि काबुल में नई सरकार को अब तक दुनिया से मान्यता नहीं मिली है, जबकि वहां के शीर्ष कैबिनेट मंत्री संयुक्त राष्ट्र की काली सूची में हैं। तालिबान की अगुवाई वाली सरकार में कार्यवाहक विदेश मंत्री हैं आमिर खान मुत्ताकी। संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त किसी बैठक में उनके शामिल होने की संभावना नहीं है।
पीएम मोदी ने मान्यता से पहले विचार पर जोर दिया था
बीते दिनों शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कह चुके हैं कि अफगानिस्तान की नई सरकार समावेशी नहीं है। पीएम मोदी ने विश्व बिरादरी को आगाह किया था कि अफगानिस्तान की नई सरकार को मान्यता देने से पहले विश्व स्तर पर इस पर व्यापक बहस होनी चाहिए।
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