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सार
पंजाब को लेकर पूरी चर्चा में लोग पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के हस्तक्षेप को कांग्रेस के लिए बड़ी सुनामी बता रहे हैं। इस स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा को 24 अकबर रोड के मंच से पार्टी के नेताओं को फोरम पर ही अपनी बात कहने की अपील करनी पड़ी…
अमरिंदर सिंह, चरणजीत सिंह चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू
– फोटो : Amar Ujala
चंडीगढ़ से दिल्ली के लिए उड़ान भरने से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी राजनीतिक ताकत को तोलकर आए थे। उनकी गृहमंत्री अमित शाह और एनएसए अजीत डोभाल से मुलाकात हुई है। कांग्रेस पार्टी के अलावा कुछ और नेताओं से भी उनकी फोन पर बात होने की खबर है। गुरुवार को कैप्टन दिल्ली से चंडीगढ़ लौट गए। इरादा एक बार फिर कुछ करीबियों से चर्चा और अपनी क्षमता को टटोलना है। इसके बाद पंजाब में नया विकल्प तैयार करने में जुट जाएंगे। कुल मिलाकर अब अमरिंदर सिंह का मकसद पंजाब में कांग्रेस पार्टी के ‘कैप्टन’ के लिए राजनीतिक दुश्वारियां पैदा करना ही है।
चंडीगढ़ में कैप्टन के करीबी नेता, उनके सलाहकार और करीबियों में शुमार रवीन ठुकराल, सुरेश कुमार, एमपी सिंह समेत किसी को अभी पटियाला के महाराज के अगले कदम की जानकारी नहीं है। कैप्टन खेमे के कांग्रेस के विधायकों को भी अभी यह नहीं मालूम कि पूर्व मुख्यमंत्री कौन सा कदम उठाएंगे? इतना तय है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह नवजोत सिंह सिद्धू की मुसीबत बनने का कोई भी अवसर नहीं छोड़ने वाले।
सीएम चन्नी और सिद्धू के लिए आसान नहीं होगा सरकार और कांग्रेस चलाना
पंजाब प्रदेश कांग्रेस और राज्य के मौजूदा कांग्रेस विधायकों में तीन गुट हैं। कुछ विधायक मुख्यमंत्री चन्नी के साथ हैं तो कैप्टन के वफादार भी हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके (हालांकि मंजूर नहीं) नवजोत सिंह का भी अपना गुट है। ऐसा माना जा रहा है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह भले ही पार्टी की सदस्यता छोड़े दें, लेकिन पार्टी के बाहर रहकर भी वह पार्टी और सरकार दोनों के लिए मुसीबत बने रहेंगे। कैप्टन के अलावा सांसद मनीष तिवारी, पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ समेत नेताओं का एक धड़ा अपनी ही पार्टी के तमाम निर्णयों से खुश नहीं है। कांग्रेस पार्टी की पंजाब में एक महिला विधायक का कहना है कि कुछ ही दिन पहले चन्नी ने मुख्यमंत्री का पद संभाला। सिद्दू ने पद संभालने के 72 दिन बाद पद से इस्तीफा दे दिया था। वह ‘ऑफ दि रिकार्ड’ कहती हैं कि जब शुरुआत में ही इतना अंतरविरोध है तो आगे की स्थिति समझी जा सकती है।
कांग्रेस में दिख रहा है पंजाब में कलह का असर
पंजाब में कांग्रेस के भीतर मची रार का असर अब पार्टी मुख्यालय में साफ दिखाई देने लगा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने अपनी ही पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष पर सवाल उठा दिया। पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने चिट्ठी लिखकर कांग्रेस कार्य समिति की बैठक बुलाने की मांग की और मनीष तिवारी की प्रतिक्रिया आई। पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार भी मानते हैं कि कैप्टन पंजाब में पार्टी के बड़े कद के नेता हैं। पंजाब प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी खुल कर नाराजगी जाहिर की। इसी तरह से कांग्रेस के भीतर पंजाब की स्थिति को लेकर दो फाड़ की स्थिति है। तमाम राष्ट्रीय स्तर के नेताओं का कहना है कि कांग्रेस ने पंजाब में बिन बुलाई आफत मोल ले ली है। पंजाब को लेकर पूरी चर्चा में लोग पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के हस्तक्षेप को कांग्रेस के लिए बड़ी सुनामी बता रहे हैं। इस स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा को 24 अकबर रोड के मंच से पार्टी के नेताओं को फोरम पर ही अपनी बात कहने की अपील करनी पड़ी।
क्या कर सकते हैं कैप्टन अमरिंदर सिंह?
दो बातें तो कैप्टन ने खुद बताई। पहली तो यह कि वह भाजपा में शामिल नहीं होंगे। दूसरी, कांग्रेस में अब अपना अपमान नहीं सहेंगे और इस्तीफा देंगे। क्या नया राजनीतिक दल बनाएंगे? इस सवाल को कैप्टन ने केवल सुना और चुप रह गए। दरअसल, कैप्टन जाट सिख हैं। नवजोत सिंह सिद्धू भी जाट सिख हैं। पंजाब और पंजाबियों में यह एक रसूखदार वर्ग है। समझा यही जा रहा है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह जाट सिखों के साथ अन्य नेताओं को जोड़कर नई पार्टी का गठन कर सकते हैं। ऐसा होने पर उनके साथ कांग्रेस पार्टी के कुछ नेता भी आसानी से शामिल हो सकते हैं। इस तरह से वह पंजाब में कांग्रेस का बड़ा नुकसान कर सकते हैं। कहा जा रहा है कि दिल्ली में भी वह इसी राह को आसान करने आए थे। इसकी एक बड़ी वजह किसान आंदोलन भी बताई जा रही है।
विस्तार
चंडीगढ़ से दिल्ली के लिए उड़ान भरने से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी राजनीतिक ताकत को तोलकर आए थे। उनकी गृहमंत्री अमित शाह और एनएसए अजीत डोभाल से मुलाकात हुई है। कांग्रेस पार्टी के अलावा कुछ और नेताओं से भी उनकी फोन पर बात होने की खबर है। गुरुवार को कैप्टन दिल्ली से चंडीगढ़ लौट गए। इरादा एक बार फिर कुछ करीबियों से चर्चा और अपनी क्षमता को टटोलना है। इसके बाद पंजाब में नया विकल्प तैयार करने में जुट जाएंगे। कुल मिलाकर अब अमरिंदर सिंह का मकसद पंजाब में कांग्रेस पार्टी के ‘कैप्टन’ के लिए राजनीतिक दुश्वारियां पैदा करना ही है।
चंडीगढ़ में कैप्टन के करीबी नेता, उनके सलाहकार और करीबियों में शुमार रवीन ठुकराल, सुरेश कुमार, एमपी सिंह समेत किसी को अभी पटियाला के महाराज के अगले कदम की जानकारी नहीं है। कैप्टन खेमे के कांग्रेस के विधायकों को भी अभी यह नहीं मालूम कि पूर्व मुख्यमंत्री कौन सा कदम उठाएंगे? इतना तय है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह नवजोत सिंह सिद्धू की मुसीबत बनने का कोई भी अवसर नहीं छोड़ने वाले।
सीएम चन्नी और सिद्धू के लिए आसान नहीं होगा सरकार और कांग्रेस चलाना
पंजाब प्रदेश कांग्रेस और राज्य के मौजूदा कांग्रेस विधायकों में तीन गुट हैं। कुछ विधायक मुख्यमंत्री चन्नी के साथ हैं तो कैप्टन के वफादार भी हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके (हालांकि मंजूर नहीं) नवजोत सिंह का भी अपना गुट है। ऐसा माना जा रहा है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह भले ही पार्टी की सदस्यता छोड़े दें, लेकिन पार्टी के बाहर रहकर भी वह पार्टी और सरकार दोनों के लिए मुसीबत बने रहेंगे। कैप्टन के अलावा सांसद मनीष तिवारी, पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ समेत नेताओं का एक धड़ा अपनी ही पार्टी के तमाम निर्णयों से खुश नहीं है। कांग्रेस पार्टी की पंजाब में एक महिला विधायक का कहना है कि कुछ ही दिन पहले चन्नी ने मुख्यमंत्री का पद संभाला। सिद्दू ने पद संभालने के 72 दिन बाद पद से इस्तीफा दे दिया था। वह ‘ऑफ दि रिकार्ड’ कहती हैं कि जब शुरुआत में ही इतना अंतरविरोध है तो आगे की स्थिति समझी जा सकती है।
कांग्रेस में दिख रहा है पंजाब में कलह का असर
पंजाब में कांग्रेस के भीतर मची रार का असर अब पार्टी मुख्यालय में साफ दिखाई देने लगा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने अपनी ही पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष पर सवाल उठा दिया। पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने चिट्ठी लिखकर कांग्रेस कार्य समिति की बैठक बुलाने की मांग की और मनीष तिवारी की प्रतिक्रिया आई। पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार भी मानते हैं कि कैप्टन पंजाब में पार्टी के बड़े कद के नेता हैं। पंजाब प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी खुल कर नाराजगी जाहिर की। इसी तरह से कांग्रेस के भीतर पंजाब की स्थिति को लेकर दो फाड़ की स्थिति है। तमाम राष्ट्रीय स्तर के नेताओं का कहना है कि कांग्रेस ने पंजाब में बिन बुलाई आफत मोल ले ली है। पंजाब को लेकर पूरी चर्चा में लोग पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के हस्तक्षेप को कांग्रेस के लिए बड़ी सुनामी बता रहे हैं। इस स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा को 24 अकबर रोड के मंच से पार्टी के नेताओं को फोरम पर ही अपनी बात कहने की अपील करनी पड़ी।
क्या कर सकते हैं कैप्टन अमरिंदर सिंह?
दो बातें तो कैप्टन ने खुद बताई। पहली तो यह कि वह भाजपा में शामिल नहीं होंगे। दूसरी, कांग्रेस में अब अपना अपमान नहीं सहेंगे और इस्तीफा देंगे। क्या नया राजनीतिक दल बनाएंगे? इस सवाल को कैप्टन ने केवल सुना और चुप रह गए। दरअसल, कैप्टन जाट सिख हैं। नवजोत सिंह सिद्धू भी जाट सिख हैं। पंजाब और पंजाबियों में यह एक रसूखदार वर्ग है। समझा यही जा रहा है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह जाट सिखों के साथ अन्य नेताओं को जोड़कर नई पार्टी का गठन कर सकते हैं। ऐसा होने पर उनके साथ कांग्रेस पार्टी के कुछ नेता भी आसानी से शामिल हो सकते हैं। इस तरह से वह पंजाब में कांग्रेस का बड़ा नुकसान कर सकते हैं। कहा जा रहा है कि दिल्ली में भी वह इसी राह को आसान करने आए थे। इसकी एक बड़ी वजह किसान आंदोलन भी बताई जा रही है।
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