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संवाद न्यूज एजेंसी, अमृतसर (पंजाब) Published by: निवेदिता वर्मा Updated Mon, 13 Sep 2021 10:29 AM IST
वरिष्ठ पत्रकार शम्मी सरीन ने बताया कि जलियांवाला बाग की शहीदी गैलरी में दशकों से मौजूद स्वतंत्रता सेनानी चौधरी बुग्गा मल और महाशय रतनचंद के चित्रों को भी नवीनीकरण के दौरान हटा दिया गया है। अंग्रेजों के दिलोदिमाग में अमृतसर निवासी चौधरी बुग्गामल का खौफ था। जिसके चलते 13 अप्रैल को हुए नरसंहार में पहले ही उनको घर से उठा लिया गया और फांसी की सजा सुना दी गई थी। पंडित मोतीलाल नेहरू ने खुद चौधरी बुग्गामल की पैरवी की तो उनकी फांसी की सजा को काले पानी की सजा में तब्दील कर दिया गया था। इसी तरह महाशय रतनचंद उस दौर में मारवाड़ी फर्मों के लिए टोटों की दलाली का काम किया करते थे। बाकी समय में वे युवाओं को कसरत करवाया करते थे। इनकी गतिविधियों पर भी ब्रिटिश गवर्नमेंट नजर गड़ाए हुए थी। 10 अप्रैल को डॉ. सैफुद्दीन किचलू तथा डॉ. सत्यपाल की गिरफ्तारी के बाद शहर की स्थिति और बिगड़ गई तो 16 अप्रैल को महाशय रतनचंद को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
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