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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Printed by: विनोद सिंह
Up to date Thu, 23 Sep 2021 05:58 PM IST
प्रयागराज : आनंद गिरि के साथ संदीप तिवारी (फाइल फोटो)।
– फोटो : प्रयागराज
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महंत नरेंद्र गिरि ने अपनी आत्महत्या के पहले लिखे गए कथित सुसाइड नोट में आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी और संदीप तिवारी को जिम्मेदार ठहराया था। आद्या प्रसाद तिवारी बाघंबरी गद्दी मठ के अधिकार क्षेत्र में आने वाले संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान (लेटे हनुमान) मंदिर के मुख्य पुजारी थे। आनंद गिरि से विवाद के नरेंद्र गिरि ने इन्हें पुजारी पद से हटा दिया था।
महंत का कहना था कि आद्या प्रसाद तिवारी और उसके पुत्र संदीप तिवारी आनंद गिरि के विश्वासपात्र हैं। मठ के शिष्यों की मानें तो इसके बाद ही दोनों नरेंद्र गिरि से खुन्नस खाए हुए थे। हालांकि पुलिस की पूछताछ में आद्या ने कहा है कि महंत नरेंद्र गिरि उसके लिए भगवान थे। वह उनकी हत्या या उनके खिलाफ साजिश के बारे में सपने में भी नहीं सोच सकता।
सीबीआई जांच की सिफारिश के बाद टीम पहुंची प्रयागराज
वहीं महंत नरेंद्र गिरी की हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए सीबीआई टीम प्रयागराज पहुंच गई है। सीबीआई की टीम एसआईटी के साथ बैठक कर साक्ष्यों को एकत्र करेगी। योगी सरकार ने बुधवार को ही सीबीआई जांच की सिफारिश की थी और 24 घंटे के भीतर टीम वहां पहुंच गई। अभी तक इस मामले की जांच 18 सदस्यीय एसआईटी कर रही थी। नरेंद्र गिरि के द्वारा लिखे गए सुसाइड नोट और उसके बाद सामने आए वीडियो ने पूरे मामले को उलझाकर रख दिया है।
बृहस्पतिवार की सुबह से ही सीबीआई टीम के प्रयागराज आने की चर्चा चल रही थी। शाम तक सीबीआई की टीम ने जिले में दस्तक दे दी। इस मामले में शासन के निर्देश पर एसएसपी प्रयागराज ने 18 सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी मामले की छानबीन में जुटी थी। इसी बीच मामले में बढ़ते दबाव और साधु संतों की मांग को देखते हुए योगी सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी। जांच लिए अधिसूचना जारी होने के 24 घंटे के भीतर ही टीम प्रयागराज धमक पड़ी।
माना जा रहा है कि टीम देर रात संदिग्धों से मामले में पूछताछ कर सकती है। आत्महत्या के तुरंत बाद का वीडियो सामने आने के बाद घटना को लेकर और भी सवाल खड़े हो गए हैं। जिस नायलान की रस्सी से सुसाइड की बात कही जा रही थी वह रस्सी तीन टुकड़ों में मिली। एक टुकड़ा जमीन पर तो दूसरा मेज पर पड़ा मिला। जिस पंखे से आत्महत्या की बात कही जा रही थी वह पंखा चलता मिला। आखिर चलते हुए पंखे से कोई कैसे लटककर जान दे सकता है। दरवाजा तोड़कर शव को नीचे उतारने वाले शिष्यों का कहना है कि पंखा उन लोगों ने नहीं चलाया। इससे यह मामला और संदिग्ध हो जाता है कि पंखा आखिर चलाया किसने।
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