[ad_1]
सार
टीम में शामिल पुलिस अधिकारियों ने आशीष से तीखे सवाल किए, जिनका सामना करने में वह परेशान दिखा। जांच टीम ने पूछा कि घटना के वक्त वह कहां था? जब रूट बदला गया तो उसकी गाड़ी उस रास्ते से होकर क्यों गई? घटना का पता उसे कब चला? घटना में कितने लोग मारे गए और इसकी जानकारी उसे कब और कैसे लगी?
आशीष मिश्रा गिरफ्तार
– फोटो : अमर उजाला
लखीमपुर खीरी के तिकुनिया हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी का बेटा आशीष मिश्र शनिवार को 12 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। शुक्रवार को पेश न होने के बाद दूसरा नोटिस चस्पा कर शनिवार सुबह 11:00 बजे उसे बुलाया गया था। तय समय से लगभग 20 मिनट पहले ही आशीष मिश्र वहां पहुंचा। पूछताछ के बाद रात करीब 11 बजे उसकी गिरफ्तारी हुई।
इसके बाद अपराध शाखा के दफ्तर में ही लगभग एक घंटे तक मेडिकल जांच करने के बाद रात 12 बजे के बाद सीजेएम दीक्षा भारती की कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने 14 दिन के न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। वहीं पुलिस कस्टडी मांगे जाने की अर्जी पर सोमवार को सुनवाई होगी।
डीआईजी उपेंद्र अग्रवाल ने बताया कि जांच में सहयोग न करने और सही जवाब न देने के कारण आशीष को गिरफ्तार कर लिया गया। तीन अक्तूबर को हुए बवाल के बाद आशीष मिश्रा और बीस अन्य पर हत्या, बलवा आदि की धाराओं में तिकुनिया थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था।
जांच टीम के इन सवालों में उलझे आशीष मिश्र
टीम में शामिल पुलिस अधिकारियों ने आशीष से तीखे सवाल किए, जिनका सामना करने में वह परेशान दिखा। जांच टीम ने पूछा कि घटना के वक्त वह कहां था? जब रूट बदला गया तो उसकी गाड़ी उस रास्ते से होकर क्यों गई? घटना का पता उसे कब चला? घटना में कितने लोग मारे गए और इसकी जानकारी उसे कब और कैसे लगी? इस दौरान आशीष मिश्र मोनू ने घटना के दिन अपने बनवीरपुर होने की दलील दी। सूत्रों के मुताबिक जब जांच टीम ने पूछा कि घटना के दिन वह 2:36 से 3:30 के बीच कहां थे, तो वह इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सका।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी का बेटा आशीष मिश्र शनिवार को बयान दर्ज कराने के लिए पुलिस लाइन पहुंचा। शाम तक बंद कमरे में उससे पूछताछ जारी रही। इसके बाद मंत्री पुत्र को जेल भेजने की तैयारियां होने लगीं। इसके लिए पुलिस प्रशासन ने मेडिकल कराने की कवायद शुरू कर दी। जिला अस्पताल में डॉक्टरों को पहले ही अलर्ट कर दिया गया था। शाम तक आशीष को अस्पताल न भेजकर पुलिस लाइन में ही मेडिकल कराने की चर्चा रही। आधी रात के बाद आशीष को मेडिकल के लिए ले जाया गया।
नहीं बता पाया अपनी लोकेशन
पुलिस की पूछताछ में सबसे अहम बिंदु यह रहा कि घटना के वक्त आशीष कहां था। आशीष की ओर से कई वीडियो साक्ष्य दिए गए, लेकिन वह किसी में भी घटना के समय पर कहीं और होने का साक्ष्य नहीं दे पाया। घटना के दिन दोपहर 2:34 से 3:31 बजे तक कोई लोकेशन नहीं मिल पाई। पुलिस ने यह भी पूछा कि रूट डायवर्ट होने की सूचना के बावजूद वह उसी रास्ते से क्यों गया। पुलिस ने यह भी पूछा कि उस दिन मौके पर गई गाड़ियों में और कौन-कौन लोग मौजूद थे।
लगभग 12 घंटे की पूछताछ में भी यह सवाल अनसुलझा ही रहा कि घटना के समय आशीष कहां था। इसके बाद भी पुलिस अधिकारियों ने जांच में सहयोग न करने और सवालों के सही जवाब न देने को आधार मानते हुए आशीष को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में मौके से मिस कारतूस के बारे में भी कई सवाल पूछे गए। गाड़ियों के मालिकाना हक से जुड़ी पूछताछ भी की गई। पुलिस की ओर से उसकी लोकेशन के बारे में सवाल का भी संतोषजनक जवाब नहीं दिया।
जानकारी साझा करने से कतराते रहे अफसर
आशीष मिश्र मोनू से क्राइम ब्रांच दफ्तर मे पूछताछ के 12 घंटे बीतने के बाद भी जांच टीम कोई निर्णय नहीं ले सकी, बल्कि आरोपी की आवभगत में ही लगी रही, ऐसा बताया जा रहा है। इस मामले में दिनभर कोई भी अधिकारी मीडिया से बात करने के लिए आगे नहीं आए और जानकारी साझा करने से भी कतराते रहे।
विस्तार
लखीमपुर खीरी के तिकुनिया हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी का बेटा आशीष मिश्र शनिवार को 12 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। शुक्रवार को पेश न होने के बाद दूसरा नोटिस चस्पा कर शनिवार सुबह 11:00 बजे उसे बुलाया गया था। तय समय से लगभग 20 मिनट पहले ही आशीष मिश्र वहां पहुंचा। पूछताछ के बाद रात करीब 11 बजे उसकी गिरफ्तारी हुई।
इसके बाद अपराध शाखा के दफ्तर में ही लगभग एक घंटे तक मेडिकल जांच करने के बाद रात 12 बजे के बाद सीजेएम दीक्षा भारती की कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने 14 दिन के न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। वहीं पुलिस कस्टडी मांगे जाने की अर्जी पर सोमवार को सुनवाई होगी।
डीआईजी उपेंद्र अग्रवाल ने बताया कि जांच में सहयोग न करने और सही जवाब न देने के कारण आशीष को गिरफ्तार कर लिया गया। तीन अक्तूबर को हुए बवाल के बाद आशीष मिश्रा और बीस अन्य पर हत्या, बलवा आदि की धाराओं में तिकुनिया थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था।
जांच टीम के इन सवालों में उलझे आशीष मिश्र
टीम में शामिल पुलिस अधिकारियों ने आशीष से तीखे सवाल किए, जिनका सामना करने में वह परेशान दिखा। जांच टीम ने पूछा कि घटना के वक्त वह कहां था? जब रूट बदला गया तो उसकी गाड़ी उस रास्ते से होकर क्यों गई? घटना का पता उसे कब चला? घटना में कितने लोग मारे गए और इसकी जानकारी उसे कब और कैसे लगी? इस दौरान आशीष मिश्र मोनू ने घटना के दिन अपने बनवीरपुर होने की दलील दी। सूत्रों के मुताबिक जब जांच टीम ने पूछा कि घटना के दिन वह 2:36 से 3:30 के बीच कहां थे, तो वह इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सका।
पुलिस लाइन में आधी रात तक हुई पूछताछ
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी का बेटा आशीष मिश्र शनिवार को बयान दर्ज कराने के लिए पुलिस लाइन पहुंचा। शाम तक बंद कमरे में उससे पूछताछ जारी रही। इसके बाद मंत्री पुत्र को जेल भेजने की तैयारियां होने लगीं। इसके लिए पुलिस प्रशासन ने मेडिकल कराने की कवायद शुरू कर दी। जिला अस्पताल में डॉक्टरों को पहले ही अलर्ट कर दिया गया था। शाम तक आशीष को अस्पताल न भेजकर पुलिस लाइन में ही मेडिकल कराने की चर्चा रही। आधी रात के बाद आशीष को मेडिकल के लिए ले जाया गया।
नहीं बता पाया अपनी लोकेशन
पुलिस की पूछताछ में सबसे अहम बिंदु यह रहा कि घटना के वक्त आशीष कहां था। आशीष की ओर से कई वीडियो साक्ष्य दिए गए, लेकिन वह किसी में भी घटना के समय पर कहीं और होने का साक्ष्य नहीं दे पाया। घटना के दिन दोपहर 2:34 से 3:31 बजे तक कोई लोकेशन नहीं मिल पाई। पुलिस ने यह भी पूछा कि रूट डायवर्ट होने की सूचना के बावजूद वह उसी रास्ते से क्यों गया। पुलिस ने यह भी पूछा कि उस दिन मौके पर गई गाड़ियों में और कौन-कौन लोग मौजूद थे।
लगभग 12 घंटे की पूछताछ में भी यह सवाल अनसुलझा ही रहा कि घटना के समय आशीष कहां था। इसके बाद भी पुलिस अधिकारियों ने जांच में सहयोग न करने और सवालों के सही जवाब न देने को आधार मानते हुए आशीष को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में मौके से मिस कारतूस के बारे में भी कई सवाल पूछे गए। गाड़ियों के मालिकाना हक से जुड़ी पूछताछ भी की गई। पुलिस की ओर से उसकी लोकेशन के बारे में सवाल का भी संतोषजनक जवाब नहीं दिया।
जानकारी साझा करने से कतराते रहे अफसर
आशीष मिश्र मोनू से क्राइम ब्रांच दफ्तर मे पूछताछ के 12 घंटे बीतने के बाद भी जांच टीम कोई निर्णय नहीं ले सकी, बल्कि आरोपी की आवभगत में ही लगी रही, ऐसा बताया जा रहा है। इस मामले में दिनभर कोई भी अधिकारी मीडिया से बात करने के लिए आगे नहीं आए और जानकारी साझा करने से भी कतराते रहे।
[ad_2]
Supply hyperlink