[ad_1]
अमर उजाला ब्यूरो/ एजेंसी, नई दिल्ली।
Printed by: Jeet Kumar
Up to date Wed, 15 Sep 2021 06:15 AM IST
सार
खंडपीठ ने कहा कि पिछली सुनवाई के दौरान हमने कुछ नहीं कहा था लेकिन इस बात पर गौर किया था कि पुनर्वास कार्य के बीच निगम आयुक्त को बदल दिया गया है। किसी अधिकारी ने हमें यह बताने का शिष्टाचार तक जरूरी नहीं समझा।
सुप्रीम कोर्ट ने खोरी से हटाए लोगों के पुनर्वास प्रक्रिया के बीच ही फरीदाबाद नगर निगम के आयुक्त को बदले जाने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। अरावली वन क्षेत्र में खोरी गांव से हजारों अवैध निर्माण ढहाए जाने के बाद पात्र लोगों के पुनर्वास का कार्य नगर निगम कर रहा है।
न्यायमूर्ति जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की खंडपीठ ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि निगम आयुक्त को बदल दिया गया है। लेकिन अधिकारियों को इतनी भी शिष्टाचार नहीं है कि इस बारे में सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दें।
खंडपीठ ने पूछा कि हमारी अनुमति के बिना आयुक्त को क्यों बदला गया। कुछ काम चल रहा था। पीठ ने पूछा कि उन फार्म हाउसों पर क्या हो रहा है जो अतिक्रमण करके बनाए गए हैं। क्या उन पर कोई कार्रवाई की गई है।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने नगर निगम से खोरी गांव वन क्षेत्र से विस्थापित किए गए लोगों में पात्र लोगों के अस्थायी फ्लैट देने का आदेश दिया है। पुनर्वास आवेदन मिलने के एक हफ्ते में अस्थायी आवास देने के लिए कहा गया है।
शीर्ष अदालत ने साफ किया है कि फ्लैट का आवंटन पूरी तरह से अस्थायी होगा। अगर आवेदकों के दस्तावेज पुनर्वास के लिए तय किए गए मापदंडों के अनुरूप नहीं पाए गए तो उन्हें फ्लैट खाली करना पड़ेगा।
पीठ ने कहा है कि पुनर्वास नीति के तहत लोगों को दिया गया आवंटन पत्र बताएगा कि आवंटन अस्थायी है। अस्थायी फ्लैट पाने वाले परिवारों को यह शपथ पत्र देना होगा कि यदि वे दस्तावेज की जांच प्रक्रिया के दौरान तय मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं तो उन्हें फ्लैट खाली करना होगा। फ्लैट खाली करने का नोटिस आने के दो हफ्ते के भीतर उन्हें परिसर खाली करना होगा। यदि वे अंतिम जांच के बाद योग्य पाए जाते हैं तो उन्हें स्थायी फ्लैट आवंटित कर दिया जाएगा।
विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने खोरी से हटाए लोगों के पुनर्वास प्रक्रिया के बीच ही फरीदाबाद नगर निगम के आयुक्त को बदले जाने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। अरावली वन क्षेत्र में खोरी गांव से हजारों अवैध निर्माण ढहाए जाने के बाद पात्र लोगों के पुनर्वास का कार्य नगर निगम कर रहा है।
न्यायमूर्ति जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की खंडपीठ ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि निगम आयुक्त को बदल दिया गया है। लेकिन अधिकारियों को इतनी भी शिष्टाचार नहीं है कि इस बारे में सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दें।
खंडपीठ ने पूछा कि हमारी अनुमति के बिना आयुक्त को क्यों बदला गया। कुछ काम चल रहा था। पीठ ने पूछा कि उन फार्म हाउसों पर क्या हो रहा है जो अतिक्रमण करके बनाए गए हैं। क्या उन पर कोई कार्रवाई की गई है।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने नगर निगम से खोरी गांव वन क्षेत्र से विस्थापित किए गए लोगों में पात्र लोगों के अस्थायी फ्लैट देने का आदेश दिया है। पुनर्वास आवेदन मिलने के एक हफ्ते में अस्थायी आवास देने के लिए कहा गया है।
शीर्ष अदालत ने साफ किया है कि फ्लैट का आवंटन पूरी तरह से अस्थायी होगा। अगर आवेदकों के दस्तावेज पुनर्वास के लिए तय किए गए मापदंडों के अनुरूप नहीं पाए गए तो उन्हें फ्लैट खाली करना पड़ेगा।
पीठ ने कहा है कि पुनर्वास नीति के तहत लोगों को दिया गया आवंटन पत्र बताएगा कि आवंटन अस्थायी है। अस्थायी फ्लैट पाने वाले परिवारों को यह शपथ पत्र देना होगा कि यदि वे दस्तावेज की जांच प्रक्रिया के दौरान तय मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं तो उन्हें फ्लैट खाली करना होगा। फ्लैट खाली करने का नोटिस आने के दो हफ्ते के भीतर उन्हें परिसर खाली करना होगा। यदि वे अंतिम जांच के बाद योग्य पाए जाते हैं तो उन्हें स्थायी फ्लैट आवंटित कर दिया जाएगा।
[ad_2]
Supply hyperlink