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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जम्मू
Revealed by: करिश्मा चिब
Up to date Fri, 17 Sep 2021 12:19 AM IST
सार
कर्मचारियों का समय-समय पर चरित्र प्रमाणीकरण होगा। रिश्तेदार, किराएदार या किसी करीबी की संलिप्तता की जानकारी छिपाने पर भी होगी कार्रवाई।

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– फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
जम्मू-कश्मीर में देश की संप्रभुता, संविधान और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बनने वाले तत्वों का समर्थन करने पर सरकारी कर्मचारी को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। प्रदेश सरकार ने समय-समय पर कर्मचारियों के चरित्र प्रमाणीकरण का आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार कोई भी कर्मचारी यदि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए किसी भी रूप में खतरा साबित होता है या फिर विदेशी हितों के लिए जानबूझ कर प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से काम करते पाया जाता है, उसे नौकरी से बर्खास्त किया जाएगा।
आदेश के अनुसार इस तरह के आरोप लगने पर कर्मचारी के प्रमोशन पर तत्काल रोक लगा दी जाएगी। यदि आरोपों को केंद्र शासित प्रदेश स्तरीय स्क्रीनिंग कमेटी भी सही मानती है तो कर्मचारी को नौकरी से बर्खास्त भी किया जा सकता है। आदेश में कहा गया है कि सरकारी कर्मचारियों के आचरण को लेकर पहले से स्पष्ट नियम हैं। जम्मू-कश्मीर सिविल सर्विसेज (कैरेक्टर एंड एंटीसीडेंट्स) इंस्ट्रक्शंस 1997 और इसमें किए गए संशोधन को चरित्र प्रमाणीकरण के दौरान विशेष ध्यान में रखा जाए।
कर्मचारी के चरित्र पर रिपोर्ट में यदि देश विरोधी गतिविधियाें में शामिल होने, समर्थन करने या फिर संलिप्त तत्व की जानकारी होने के बावजूद सूचना छिपाने की बात आती है तो उसका कड़ा संज्ञान लिया जाएगा। इसके तहत प्रमोशन रोकने से लेकर बर्खास्त करने की कार्रवाई की जा सकेगी।
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आपत्तिजनक गतिविधियां
- जासूसी, देश विरोध, आतंकवाद, विदेशी हस्तक्षेप में मदद करना, हिंसा भड़काना अथवा अन्य असांविधानिक कृत्य
- उक्त गतिविधि में शामिल तत्व के प्रति सहानुभूति रखना, उससे सहयोग या उसकी मदद करना
- परिवार के किसी सदस्य का संलिप्त होना, घर में रह रहे किसी शख्स का देश विरोध में शामिल होना
- रिश्तेदार, किराएदार, मकान मालिक की आपत्तिजनक गतिविधि में संलिप्तता की जानकारी होने के बावजूद सूचना न देना
- किसी ऐसे विदेशी व्यक्ति अथवा प्रतिनिधि की जानकारी होने के बावजूद सूचित न करना, जो देश को आर्थिक नुकसान पहुंचाना या सरकार पर दबाव बनाना चाहता हो
वेरिफिकेशन रिपोर्ट नकारात्मक होने पर प्रशासनिक विभाग फौरन ऐसे कर्मचारी की पदोन्नति के मामले को रोक देगा। इसके बाद मामला यूटी लेवल स्क्रीनिंग कमेटी के पास जाएगा। जहां आरोप सही पाए जाने पर स्क्रीनिंग कमेटी कर्मचारी को बर्खास्त करने का फैसला कर सकती है। स्क्रीनिंग कमेटी के फैसले को समीक्षा समिति के समक्ष चुनौती दी जा सकेगी।
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