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अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली
Printed by: प्राची प्रियम
Up to date Mon, 11 Oct 2021 12:01 AM IST
सार
यह छिड़काव प्रदूषण को काबू करने के लिए सरकार की शीतकालीन कार्य योजना का हिस्सा है। बायो डी-कंपोजर का इस्तेमाल पराली को गलाने के लिए किया जाएगा। फतेहपुर जट गांव से इसकी शुरुआत होगी।
मौसम में बदलाव और प्रदूषण का स्तर धीरे-धीरे बढ़ने पर इसे नियंत्रित करने के लिए दिल्ली तैयार है। इसी कड़ी में शीतकालीन कार्य योजना के तहत आज से पराली गलाने के लिए खेतों में नि:शुल्क बायो डी-कंपोजर घोल के छिड़काव की शुरुआत होगी। अभियान की शुरुआत नरेला विधानसभा के फतेहपुर जट गांव से की जाएगी। दिल्ली सरकार के पास इस बार चार हजार से अधिक एकड़ क्षेत्र में पराली गलाने के लिए घोल के छिड़काव की तैयारी है।
विकास मंत्री गोपाल राय के मुताबिक, जिन किसानों ने अपने खेत में बायो डि-कंपोजर घोल के छिड़काव की मांग की है, उनके खेतों में सोमवार सुबह से छिड़काव शुरू कर दिया जाएगा। पिछले साल करीब दो हजार एकड़ एरिया में ही छिड़काव किया गया था, जबकि इस बार सरकार के पास तैयारी अधिक की है।
उन्होंने कहा कि थर्ड पार्टी ऑडिट रिपोर्ट आने के बाद से किसान इसके परिणाम को लेकर काफी उत्साहित हैं। लक्ष्य को हासिल करने के लिए दिल्ली सरकार 24 सितंबर से पूसा इंस्टीट्यूट के सहयोग से खरखरी नाहर में बायो डि-कंपोजर का घोल तैयार करा रही है।
पड़ोसी राज्यों से किसानों की मदद करने की अपील
दिल्ली सरकार ने सभी राज्यों से अपील की है कि दिल्ली सरकार की तरह वे भी पराली गलाने में अपने-अपने किसानों की मदद करें। इसके तहत सरकार बायो डि-कंपोजर के छिड़काव पर आने वाला पूरा खर्च खुद वहन कर सकती है। पूर्व में वायु गुणवत्ता आयोग ने भी सभी राज्यों को बायो डि-कंपोजर का इस्तेमाल करने का आदेश दिया है। दिल्ली सरकार घोल बनाने से लेकर छिड़काव करने तक करीब 50 लाख रुपये खर्च कर रही है।
गोपाल राय ने आरोप लगाया है कि पड़ोसी राज्यों में जलने वाली पराली के कारण दिल्ली की वायु गुणवत्ता प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने वायु प्रदूषण को काबू करने के लिए शीतकालीन कार्य योजना तैयार की है। इसके तहत 10 बिंदुओं पर सख्ती से कार्रवाई की जा रही है।
इसी योजना का हिस्सा पराली पर बायो डि-कंपोजर का छिड़काव करना भी है। दिल्ली सरकार ने केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को भी ऑडिट रिपोर्ट सौंपी है। केंद्र सरकार की एजेंसी वाप्कोस ने बायो डि-कंपोजर के छिड़काव का पराली पर पड़ने वाले प्रभाव की थर्ड पार्टी ऑडिट किया था। सरकार ने वाप्कोस की ऑडिट रिपोर्ट का हवाला देते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से भी पड़ोसी राज्यों में बायो डि-कंपोजर का उपयोग कराने की अपील की थी।
केंद्र सरकार की एजेंसी वाप्कोस ने दिल्ली के 39 गांवों में 310 किसानों के करीब 1935 एकड़ गैर-बासमती धान के खेतों में पूसा बायो डि-कंपोजर के छिड़काव के प्रभाव को अपनी ऑडिट रिपोर्ट में रखा था।
विस्तार
मौसम में बदलाव और प्रदूषण का स्तर धीरे-धीरे बढ़ने पर इसे नियंत्रित करने के लिए दिल्ली तैयार है। इसी कड़ी में शीतकालीन कार्य योजना के तहत आज से पराली गलाने के लिए खेतों में नि:शुल्क बायो डी-कंपोजर घोल के छिड़काव की शुरुआत होगी। अभियान की शुरुआत नरेला विधानसभा के फतेहपुर जट गांव से की जाएगी। दिल्ली सरकार के पास इस बार चार हजार से अधिक एकड़ क्षेत्र में पराली गलाने के लिए घोल के छिड़काव की तैयारी है।
विकास मंत्री गोपाल राय के मुताबिक, जिन किसानों ने अपने खेत में बायो डि-कंपोजर घोल के छिड़काव की मांग की है, उनके खेतों में सोमवार सुबह से छिड़काव शुरू कर दिया जाएगा। पिछले साल करीब दो हजार एकड़ एरिया में ही छिड़काव किया गया था, जबकि इस बार सरकार के पास तैयारी अधिक की है।
उन्होंने कहा कि थर्ड पार्टी ऑडिट रिपोर्ट आने के बाद से किसान इसके परिणाम को लेकर काफी उत्साहित हैं। लक्ष्य को हासिल करने के लिए दिल्ली सरकार 24 सितंबर से पूसा इंस्टीट्यूट के सहयोग से खरखरी नाहर में बायो डि-कंपोजर का घोल तैयार करा रही है।
पड़ोसी राज्यों से किसानों की मदद करने की अपील
दिल्ली सरकार ने सभी राज्यों से अपील की है कि दिल्ली सरकार की तरह वे भी पराली गलाने में अपने-अपने किसानों की मदद करें। इसके तहत सरकार बायो डि-कंपोजर के छिड़काव पर आने वाला पूरा खर्च खुद वहन कर सकती है। पूर्व में वायु गुणवत्ता आयोग ने भी सभी राज्यों को बायो डि-कंपोजर का इस्तेमाल करने का आदेश दिया है। दिल्ली सरकार घोल बनाने से लेकर छिड़काव करने तक करीब 50 लाख रुपये खर्च कर रही है।
पड़ोसी राज्यों में पराली जलने से हवा खराब होने का आरोप
गोपाल राय ने आरोप लगाया है कि पड़ोसी राज्यों में जलने वाली पराली के कारण दिल्ली की वायु गुणवत्ता प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने वायु प्रदूषण को काबू करने के लिए शीतकालीन कार्य योजना तैयार की है। इसके तहत 10 बिंदुओं पर सख्ती से कार्रवाई की जा रही है।
इसी योजना का हिस्सा पराली पर बायो डि-कंपोजर का छिड़काव करना भी है। दिल्ली सरकार ने केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को भी ऑडिट रिपोर्ट सौंपी है। केंद्र सरकार की एजेंसी वाप्कोस ने बायो डि-कंपोजर के छिड़काव का पराली पर पड़ने वाले प्रभाव की थर्ड पार्टी ऑडिट किया था। सरकार ने वाप्कोस की ऑडिट रिपोर्ट का हवाला देते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से भी पड़ोसी राज्यों में बायो डि-कंपोजर का उपयोग कराने की अपील की थी।
केंद्र सरकार की एजेंसी वाप्कोस ने दिल्ली के 39 गांवों में 310 किसानों के करीब 1935 एकड़ गैर-बासमती धान के खेतों में पूसा बायो डि-कंपोजर के छिड़काव के प्रभाव को अपनी ऑडिट रिपोर्ट में रखा था।
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