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राजीव सिन्हा, अमर उजाला, नई दिल्ली
Printed by: Kuldeep Singh
Up to date Solar, 26 Sep 2021 03:54 AM IST
सार
हरियाणा सरकार ने हलफनामे में माना है कि किसानों के लंबे आंदोलन के कारण आम जनता को बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है और उन्हें मनाने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं।
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विस्तार
हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर दिया स्पष्टीकरण
राज्य सरकार ने हलफनामे में माना है कि किसानों के लंबे आंदोलन के कारण आम जनता को बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है और उन्हें मनाने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं। हलफनामे में कहा गया है कि किसानों और किसान संगठनों को राजी करके अंतरराज्यीय सड़कों और राष्ट्रीय राजमार्गों से ‘नाकेबंदी’ हटाने और इन सड़कों पर यातायात फिर से शुरू करने के लिए ईमानदारी से प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य सरकार ने बताया कि 15 सितंबर को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में एक बैठक के बाद राज्य स्तरीय समिति का गठन किया गया है।
राज्य के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली इस समिति को किसान संगठनों से बाधित सड़कों के मसले पर चर्चा कर उन्हें हटने के लिए तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। समिति ने 19 सितंबर को मुरथल में किसान समूहों के साथ बैठक रखी थी, लेकिन आमंत्रण देने पर भी किसान, किसान संगठनों के पदाधिकारी इस बैठक में नहीं पहुंचे। हलफनामे में हरियाणा ने कहा है कि राज्य स्तरीय समिति किसानों और किसान संगठनों से इस मुद्दे पर चर्चा कर समाधान निकालने का प्रयास जारी रखेगी।
हरियाणा सरकार ने हलफनामे में यह भी बताया कि शीर्ष अदालत के निर्देश के बाद 10 सितंबर को केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केंद्र सरकार ने भी बैठक बुलाई थी। इस बैठक में हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के मुख्य सचिव, गृह सचिव और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने भाग लिया। इस बैठक में भी दिल्ली-हरियाणा सीमा के दोनों ओर मार्गों को खोलने के लिए मंथन किया गया था। इसके बाद ही राज्य सरकार ने किसानों से वार्ता के लिए समिति गठित की है।
बता दें कि तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में पिछले साल नवंबर से हजारों किसान दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर राजमार्गों के ऊपर डेरा डाले हुए हैं। इससे इन मार्गों पर वाणिज्यिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं और यातायात को डायवर्ट करना पड़ा है। इससे यात्रियों को लगने वाले सफर के समय में भी बढ़ोतरी हुई है।
नोएडा की महिला की याचिका पर चल रही सुनवाई
शीर्ष अदालत नोएडा की एक महिला मोनिका अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें उसने नौकरी के लिए नोएडा से दिल्ली स्थित अपनी आईटी कंपनी तक का महज 20 मिनट का सफर किसान आंदोलन से लगातार सड़क बंद होने के कारण दो घंटे में तय होने की शिकायत की है। सुप्रीम कोर्ट ने 23 अगस्त को हुई पिछली सुनवाई म कहा था कि आंदोलनकारी सार्वजनिक सड़कें बाधित नहीं कर सकें, यह सुनिश्चित करना केंद्र और राज्यों की जिम्मेदारी है।
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