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सार
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रिपोर्ट के मुताबिक भारत में ही नहीं, अमेरिका, यूरोप सहित कई देशों में म्यूटेशन हो रहा है। इसकी वजह से वायरस में और अधिक बदलाव होने की आशंका जताई जा रही है। वैज्ञानिकों के अनुसार भारत में ही अब तक 25 बार डेल्टा वैरिएंट में म्यूटेशन हुआ है और उसके अलग-अलग मरीजों में पहचान हुई है।
वैरिएंट से तीसरी लहर का खतरा (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : pixabay
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रिपोर्ट के मुताबिक भारत में ही नहीं, अमेरिका, यूरोप सहित कई देशों में म्यूटेशन हो रहा है। इसकी वजह से वायरस में और अधिक बदलाव होने की आशंका जताई जा रही है। वैज्ञानिकों के अनुसार भारत में ही अब तक 25 बार डेल्टा वैरिएंट में म्यूटेशन हुआ है और उसके अलग-अलग मरीजों में पहचान हुई है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि अब तक 90,115 सैंपल का जीनोम अनुक्रम पूरा हुआ है, जिनमें 62.9 फीसदी सैंपल में वायरस के गंभीर वैरिएंट मिले हैं। इनमें डेल्टा, अल्फा, गामा, बीटा, कप्पा इत्यादि वैरिएंट हैं, जो न सिर्फ दोबारा संक्रमण होने की आशंका को बढ़ा देते हैं, बल्कि वैक्सीन लेने के बाद भी संक्रमित कर सकते हैं। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि भारत में म्यू या फिर सी.1.2 नामक वैरिएंट का कोई मामला अब तक नहीं मिला है, लेकिन डेल्टा और डेल्टा से जुड़े अन्य म्यूटेशन लगातार हो रहे हैं, जिस कारण देश में महामारी की नई चिंताजनक स्थिति सामने आ सकती है। वर्तमान में डेल्टा-4 (एवाई.4) अधिकांश सैंपल में मिल रहा है।
डेल्टा-1 से 25 तक में चार सबसे तेज
सभी म्यूटेशन को डेल्टा-1 से लेकर डेल्टा-25 तक गणितीय पहचान दी गई है। इन 25 में से डेल्टा-4 नामक म्यूटेशन काफी तेज लग रहा है। महाराष्ट्र और केरल में अभी यही म्यूटेशन फैल रहा है। आशंका है कि कोरोना की आगामी लहर में डेल्टा में हो रहे इन म्यूटेशन की बड़ी और गंभीर भूमिका हो सकती है।
डब्ल्यूएचओ ने चिंताजनक श्रेणी में रखा
दिल्ली स्थित आईजीआईबी के अनुसार पिछले महीने महाराष्ट्र में 44 फीसदी मरीजों में डेल्टा-4 वैरिएंट मिला था। जबकि केरल में यह संख्या 30 फीसदी से भी अधिक है। वर्तमान में डेल्टा-4 वैरिएंट को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चिंताजनक श्रेणी में रखा हुआ है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि वायरस के इन नए म्यूटेशन की वजह से महामारी की नई लहर में स्थिति कुछ भी पैदा हो सकती है।
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