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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Printed by: ajay kumar
Up to date Tue, 05 Oct 2021 11:20 PM IST
सार
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के लिए सरकारी हेलीकॉप्टर से जाने वाले थे लेकिन यह हेलीकॉप्टर मोहाली हवाई अड्डे पर उतरा, जहां कांग्रेस सांसद रवनीत बिट्टू और कार्यकारी अध्यक्ष कुलजीत नागरा मौजूद थे। सरकारी हेलीकॉप्टर वापस लौट आया और चन्नी चार्टर्ड जेट से बिट्टू और नागरा के साथ दिल्ली रवाना हो गए। इसके बाद यह अटकलें तेज हो गईं कि हाईकमान के साथ बैठक में सिद्धू के इस्तीफे पर मुहर लगने के साथ ही बिट्टू या नागरा को प्रधान पद दिया जा सकता है।
नवजोत सिंह सिद्धू। (फाइल फोटो)
– फोटो : twitter
पंजाब प्रदेश कांग्रेस प्रधान के पद से इस्तीफा देने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। विवाद सुलझाने के उद्देश्य से कांग्रेस हाईकमान ने सिद्धू का इस्तीफा मंजूर नहीं किया था। हाईकमान को उम्मीद थी कि पार्टी पर्यवेक्षक की मौजूदगी में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के साथ बैठक के बाद भी सिद्धू की नाराजगी दूर हो जाएगी लेकिन बात बनी नहीं।
नतीजतन अब हाईकमान की भी सिद्धू पर भौहें तन गई हैं। माना जा रहा है कि हाईकमान ने सिद्धू का इस्तीफा मंजूर करने का मन बना लिया है और उनकी जगह पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत बेअंत सिंह के पोते व सांसद रवनीत सिंह बिट्टू को जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। मंगलवार को मुख्यमंत्री चन्नी के साथ बिट्टू और पंजाब कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कुलजीत सिंह नागरा दिल्ली पहुंचे, जहां वे पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने वाले हैं।
चन्नी सरकार द्वारा पंजाब के डीजीपी पद पर इकबाल प्रीत सिंह सहोता की नियुक्ति और एडवोकेट जनरल के पद पर एपीएस देयोल की नियुक्ति, सिद्धू को नागवार गुजरी। उन्होंने चन्नी सरकार द्वारा नियुक्तियों के मुद्दे पर उनसे विचार-चर्चा किए बिना अफसरों की तैनाती के खिलाफ प्रदेश प्रधान पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद सुलह की सारी कोशिशों के बाद भी सिद्धू अपने रुख पर अड़े रहे तो हाईकमान ने पंजाब के लिए प्लान-बी तैयार करना शुरू कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, हाईकमान ने भी अब यह मान लिया है कि पंजाब कांग्रेस में पूरे विवाद की जड़ नवजोत सिद्धू ही हैं।
दूसरी ओर, पार्टी के रुख ने नवजोत सिद्धू की भी चिंता भी बढ़ा दी है। दरअसल, इस्तीफे के बाद से राज्य कांग्रेस में सिद्धू अलग-थलग पड़ गए हैं। उनके इस्तीफे के पक्ष में चन्नी मंत्रिमंडल से रजिया सुलताना को छोड़ अन्य किसी भी मंत्री ने इस्तीफा नहीं दिया। यहां तक की सिद्धू के सबसे करीबी रहे परगट सिंह भी मंत्री की कुर्सी पर बने हुए हैं।
पार्टी के अन्य सीनियर नेता, जिनमें तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और सुखजिंदर सिंह रंधावा शामिल हैं, ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाने में सिद्धू का साथ दिया था लेकिन अब चन्नी मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद वह भी सिद्धू से किनारा कर गए। इस्तीफे की खबर के बाद सिद्धू के पटियाला स्थित आवास पर केवल तीन मंत्री पहुंचे, जिनमें से दो मंत्री तो मुख्यमंत्री द्वारा कारण जानने के लिए भेजे गए थे। मुख्यमंत्री चन्नी भी उनसे मिलने नहीं गए बल्कि बातचीत के लिए सिद्धू को पंजाब भवन बुला लिया। इस तरह अब सिद्धू ने भी मान लिया है कि प्रदेश कांग्रेस में उनके समर्थकों की भीड़ छंट चुकी है।
घिरता देख सिद्धू राहुल प्रियंका का कर रहे गुणगान
हाईकमान के सूत्रों के अनुसार, पार्टी मुख्यमंत्री चन्नी की कार्यशैली से खुश है और अगले चुनाव में चन्नी को ही मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किए जाने का फैसला कर चुकी है। कैप्टन के इस्तीफे के बाद नवजोत सिद्धू द्वारा अब चन्नी सरकार के खिलाफ शुरू की गई बयानबाजी ने हाईकमान को यह मानने पर मजबूर कर दिया है कि चुनाव के दौरान सिद्धू पार्टी के लिए समस्याएं पैदा कर सकते हैं।
वहीं, हाईकमान के इरादों की भनक लगते ही सिद्धू भी सचेत हो गए हैं और उन्होंने चन्नी सरकार की आलोचना छोड़ अपने ट्विटर पर राहुल और प्रियंका गांधी का गुणगान शुरू कर दिया है। मंगलवार को भी उन्होंने ट्वीट किया कि वे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ खड़े रहेंगे।
विस्तार
पंजाब प्रदेश कांग्रेस प्रधान के पद से इस्तीफा देने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। विवाद सुलझाने के उद्देश्य से कांग्रेस हाईकमान ने सिद्धू का इस्तीफा मंजूर नहीं किया था। हाईकमान को उम्मीद थी कि पार्टी पर्यवेक्षक की मौजूदगी में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के साथ बैठक के बाद भी सिद्धू की नाराजगी दूर हो जाएगी लेकिन बात बनी नहीं।
नतीजतन अब हाईकमान की भी सिद्धू पर भौहें तन गई हैं। माना जा रहा है कि हाईकमान ने सिद्धू का इस्तीफा मंजूर करने का मन बना लिया है और उनकी जगह पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत बेअंत सिंह के पोते व सांसद रवनीत सिंह बिट्टू को जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। मंगलवार को मुख्यमंत्री चन्नी के साथ बिट्टू और पंजाब कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कुलजीत सिंह नागरा दिल्ली पहुंचे, जहां वे पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने वाले हैं।
चन्नी सरकार द्वारा पंजाब के डीजीपी पद पर इकबाल प्रीत सिंह सहोता की नियुक्ति और एडवोकेट जनरल के पद पर एपीएस देयोल की नियुक्ति, सिद्धू को नागवार गुजरी। उन्होंने चन्नी सरकार द्वारा नियुक्तियों के मुद्दे पर उनसे विचार-चर्चा किए बिना अफसरों की तैनाती के खिलाफ प्रदेश प्रधान पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद सुलह की सारी कोशिशों के बाद भी सिद्धू अपने रुख पर अड़े रहे तो हाईकमान ने पंजाब के लिए प्लान-बी तैयार करना शुरू कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, हाईकमान ने भी अब यह मान लिया है कि पंजाब कांग्रेस में पूरे विवाद की जड़ नवजोत सिद्धू ही हैं।
दूसरी ओर, पार्टी के रुख ने नवजोत सिद्धू की भी चिंता भी बढ़ा दी है। दरअसल, इस्तीफे के बाद से राज्य कांग्रेस में सिद्धू अलग-थलग पड़ गए हैं। उनके इस्तीफे के पक्ष में चन्नी मंत्रिमंडल से रजिया सुलताना को छोड़ अन्य किसी भी मंत्री ने इस्तीफा नहीं दिया। यहां तक की सिद्धू के सबसे करीबी रहे परगट सिंह भी मंत्री की कुर्सी पर बने हुए हैं।
पार्टी के अन्य सीनियर नेता, जिनमें तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और सुखजिंदर सिंह रंधावा शामिल हैं, ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाने में सिद्धू का साथ दिया था लेकिन अब चन्नी मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद वह भी सिद्धू से किनारा कर गए। इस्तीफे की खबर के बाद सिद्धू के पटियाला स्थित आवास पर केवल तीन मंत्री पहुंचे, जिनमें से दो मंत्री तो मुख्यमंत्री द्वारा कारण जानने के लिए भेजे गए थे। मुख्यमंत्री चन्नी भी उनसे मिलने नहीं गए बल्कि बातचीत के लिए सिद्धू को पंजाब भवन बुला लिया। इस तरह अब सिद्धू ने भी मान लिया है कि प्रदेश कांग्रेस में उनके समर्थकों की भीड़ छंट चुकी है।
घिरता देख सिद्धू राहुल प्रियंका का कर रहे गुणगान
हाईकमान के सूत्रों के अनुसार, पार्टी मुख्यमंत्री चन्नी की कार्यशैली से खुश है और अगले चुनाव में चन्नी को ही मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किए जाने का फैसला कर चुकी है। कैप्टन के इस्तीफे के बाद नवजोत सिद्धू द्वारा अब चन्नी सरकार के खिलाफ शुरू की गई बयानबाजी ने हाईकमान को यह मानने पर मजबूर कर दिया है कि चुनाव के दौरान सिद्धू पार्टी के लिए समस्याएं पैदा कर सकते हैं।
वहीं, हाईकमान के इरादों की भनक लगते ही सिद्धू भी सचेत हो गए हैं और उन्होंने चन्नी सरकार की आलोचना छोड़ अपने ट्विटर पर राहुल और प्रियंका गांधी का गुणगान शुरू कर दिया है। मंगलवार को भी उन्होंने ट्वीट किया कि वे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ खड़े रहेंगे।
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