चरणजीत सिंह चन्नी सोमवार सुबह 11 बजे पंजाब के 17वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। वह पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री भी होंगे। चमकौर साहिब विधानसभा सीट से विधायक चन्नी कैप्टन अमरिंदर सिंह की कैबिनेट में मंत्री थे लेकिन अब वह पूरी प्रदेश की कमान संभालेंगे।
कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद कांग्रेस में मची सियासी उठापटक के बीच पंजाब की सरदारी चरणजीत सिंह चन्नी के हाथ आई। सूबे के 17वें मुख्यमंत्री के रूप में चन्नी सोमवार को शपथ लेंगे। कांग्रेस ने पहली बार दलित चेहरे पर दांव खेलकर विरोधी दलों की रणनीति की न केवल काट ढूंढ निकाली है बल्कि सूबे की दलित आबादी को साधने का काम किया है।
रेस में आगे चल रहे अंबिका सोनी, सुनील जाखड़ और सुखजिंदर सिंह रंधावा को पीछे छोड़ते हुए हरीश रावत ने अचानक मुख्यमंत्री के रूप में चमकौर साहिब से विधायक चरणजीत चन्नी के नाम का ट्वीट कर सबको चौंका दिया। इसी के साथ उन दावेदारों के चेहरे भी लटक गए, जिनके यहां दोपहर तक जश्न मन रहा था।
एक समय तो नवजोत सिद्धू खुद भी सीएम की दौड़ में शामिल थे लेकिन पार्टी प्रभारी हरीश रावत ने उन्हें यह कहकर शांत कर दिया कि आप प्रधान हैं। आप पर बड़ी जिम्मेदारी है। नाम पर मोहर लगने के बाद रविवार शाम 6.30 बजे चन्नी राज्यपाल से मिलने राजभवन पहुंचे और उन्होंने मुख्यमंत्री के तौर पर विधायक दल का समर्थन पत्र राज्यपाल को सौंप दिया। इस मौके पर चन्नी के साथ पंजाब प्रदेश कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू और पार्टी मामलों के प्रभारी हरीश रावत रहे। सूचना मिलने के साथ ही चन्नी का परिवार भी राजभवन पहुंच गया।
58 वर्षीय चन्नी पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री होंगे। इस शीर्ष पद के लिए नामित होने से पहले कैप्टन मंत्रिमंडल में राज्य के तकनीकी शिक्षा मंत्री थे। वह चमकौर साहिब निर्वाचन क्षेत्र से तीन बार विधायक रहे हैं। चन्नी 2015 से 2016 तक पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता रह चुके हैं और मार्च 2017 में कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था।
अंबिका सोनी ने सीएम बनने से किया इंकार
पंजाब से लंबे समय तक राज्यसभा सदस्य रहीं कांग्रेस की वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी ने रविवार को पंजाब का सीएम पद स्वीकार करने से पूरे अदब के साथ इंकार कर दिया। उनका मानना है कि पंजाब में किसी सिख नेता को ही मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए। पता चला है कि सोनी को दो महीने पहले भी सीएम पद की पेशकश की गई थी, जब पंजाब कांग्रेस में बदलाव की प्रक्रिया चल रही थी और उन्होंने उस समय भी इनकार कर दिया था।
रविवार को जब जाट सिख के तौर पर नवजोत सिद्धू के नाम की चर्चा हुई तो कैप्टन ने सोनिया गांधी के नाम पत्र लिख दिया और अंबिका सोनी का नाम आगे किया गया लेकिन सोनी ने हाईकमान को अपनी खराब सेहत का हवाला देते हुए सीएम पद स्वीकार करने से इंकार कर दिया।
सुनील जाखड़ा का नाम कैप्टन के इस्तीफे के साथ ऐसा चर्चा में आया कि एक बार तो लगा कि जाखड़ा का सीएम बनना तय है। जाखड़ के निवास पर रौनक भी बढ़ गई, लोगों को आवागमन भी शुरू हो गया लेकिन रंधावा ने जाखड़ के नाम पर आपत्ति जताई और कहा कि सीएम हिंदू के बजाय जट सिख होना चाहिए। जिसके बाद पार्टी में विवाद खड़ा हो गया और रंधावा का नाम आगे आ गया। शाम आते आते रंधावा भी किनारे हो गए और चन्नी के नाम की चमक पार्टी में दिखाई देने लगी।
ऐसे हुआ चन्नी का चयन
चन्नी को विधायक दल का नेता बनाए जाने का फैसला उस समय हुआ जब पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान नवजोत सिद्धू ने विधायक सुखजिंदर रंधावा द्वारा खुद को जाट सिख मुख्यमंत्री के तौर पर पर्यवेक्षकों के सामने पेश किया गया। रंधावा द्वारा अपने नाम की पेशकश रखना नवजोत सिद्धू को नागवार गुजरा, हालांकि कैप्टन विरोधी खेमे में रंधावा और सिद्धू साथ-साथ रहे हैं। रंधावा की दावेदारी के जवाब में सिद्धू ने पर्यवेक्षकों से कहा कि अगर जाट सिख को मुख्यमंत्री बनाना है तो वह खुद (सिद्धू) इस पद के लिए अपनी दावेदारी रख रहे हैं। तब रंधावा ने दलित सिख मुख्यमंत्री के तौर पर चरणजीत सिंह चन्नी का नाम पर्यवेक्षकों के समक्ष रखा, जिस पर पर्यवेक्षकों ने सहमति जताई और पार्टी हाईकमान को भेज दिया। हाईकमान ने भी ज्यादा देरी न करते हुए चन्नी के नाम पर मुहर लगा दी।
चरणजीत सिंह चन्नी राज्य के पहले ऐसे मुख्यमंत्री भी होंगे, जो माझा, मालवा व दोआबा क्षेत्र से संबंधित न होकर पुआध क्षेत्र से हैं। पुआध इलाका चंडीगढ़ ट्राईसिटी, घग्गर नदी, संगरुर जिले के कस्बा भवानीगढ़, रोपड़ जिले के पश्चिमी इलाके, कालका व अंबाला के कुछ हिस्से तक फैला है। यह इलाका दोआबा के दक्षिण में सतलुज नदी को पार करके उसके किनारे-किनारे लुधियाना जिले के कुछ इलाकों को कवर करता है पूर्व में अंबाला जिले में घग्गर तक और दक्षिण में पटियाला के मध्य से गुजरता है।
रविदासिया समाज से हैं चन्नी
पंजाब के 17वें मुख्यमंत्री के तौर पर सोमवार को शपथ ग्रहण करने जा रहे चरणजीत सिंह चन्नी अनुसूचित जाति से संबंधित होने के साथ रविदासिया समाज से आते हैं। पंजाब में सीएम पद पर इस वर्ग को पहली बार प्रतिनिधित्व मिला है। चन्नी 2007 में पहली बार चमकौर साहिब से विधानसभा चुनाव जीते। बाद में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और 2012 से 2017 तक कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में इसी सीट से चुनाव जीतते रहे। उन्होंने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी का करीबी भी माना जाता रहा है।
विस्तार
कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद कांग्रेस में मची सियासी उठापटक के बीच पंजाब की सरदारी चरणजीत सिंह चन्नी के हाथ आई। सूबे के 17वें मुख्यमंत्री के रूप में चन्नी सोमवार को शपथ लेंगे। कांग्रेस ने पहली बार दलित चेहरे पर दांव खेलकर विरोधी दलों की रणनीति की न केवल काट ढूंढ निकाली है बल्कि सूबे की दलित आबादी को साधने का काम किया है।
रेस में आगे चल रहे अंबिका सोनी, सुनील जाखड़ और सुखजिंदर सिंह रंधावा को पीछे छोड़ते हुए हरीश रावत ने अचानक मुख्यमंत्री के रूप में चमकौर साहिब से विधायक चरणजीत चन्नी के नाम का ट्वीट कर सबको चौंका दिया। इसी के साथ उन दावेदारों के चेहरे भी लटक गए, जिनके यहां दोपहर तक जश्न मन रहा था।
एक समय तो नवजोत सिद्धू खुद भी सीएम की दौड़ में शामिल थे लेकिन पार्टी प्रभारी हरीश रावत ने उन्हें यह कहकर शांत कर दिया कि आप प्रधान हैं। आप पर बड़ी जिम्मेदारी है। नाम पर मोहर लगने के बाद रविवार शाम 6.30 बजे चन्नी राज्यपाल से मिलने राजभवन पहुंचे और उन्होंने मुख्यमंत्री के तौर पर विधायक दल का समर्थन पत्र राज्यपाल को सौंप दिया। इस मौके पर चन्नी के साथ पंजाब प्रदेश कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू और पार्टी मामलों के प्रभारी हरीश रावत रहे। सूचना मिलने के साथ ही चन्नी का परिवार भी राजभवन पहुंच गया।
58 वर्षीय चन्नी पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री होंगे। इस शीर्ष पद के लिए नामित होने से पहले कैप्टन मंत्रिमंडल में राज्य के तकनीकी शिक्षा मंत्री थे। वह चमकौर साहिब निर्वाचन क्षेत्र से तीन बार विधायक रहे हैं। चन्नी 2015 से 2016 तक पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता रह चुके हैं और मार्च 2017 में कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था।
अंबिका सोनी ने सीएम बनने से किया इंकार
पंजाब से लंबे समय तक राज्यसभा सदस्य रहीं कांग्रेस की वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी ने रविवार को पंजाब का सीएम पद स्वीकार करने से पूरे अदब के साथ इंकार कर दिया। उनका मानना है कि पंजाब में किसी सिख नेता को ही मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए। पता चला है कि सोनी को दो महीने पहले भी सीएम पद की पेशकश की गई थी, जब पंजाब कांग्रेस में बदलाव की प्रक्रिया चल रही थी और उन्होंने उस समय भी इनकार कर दिया था।
रविवार को जब जाट सिख के तौर पर नवजोत सिद्धू के नाम की चर्चा हुई तो कैप्टन ने सोनिया गांधी के नाम पत्र लिख दिया और अंबिका सोनी का नाम आगे किया गया लेकिन सोनी ने हाईकमान को अपनी खराब सेहत का हवाला देते हुए सीएम पद स्वीकार करने से इंकार कर दिया।
एक बार तो तय हो गया था कि जाखड़ ही सीएम
सुनील जाखड़ा का नाम कैप्टन के इस्तीफे के साथ ऐसा चर्चा में आया कि एक बार तो लगा कि जाखड़ा का सीएम बनना तय है। जाखड़ के निवास पर रौनक भी बढ़ गई, लोगों को आवागमन भी शुरू हो गया लेकिन रंधावा ने जाखड़ के नाम पर आपत्ति जताई और कहा कि सीएम हिंदू के बजाय जट सिख होना चाहिए। जिसके बाद पार्टी में विवाद खड़ा हो गया और रंधावा का नाम आगे आ गया। शाम आते आते रंधावा भी किनारे हो गए और चन्नी के नाम की चमक पार्टी में दिखाई देने लगी।
ऐसे हुआ चन्नी का चयन
चन्नी को विधायक दल का नेता बनाए जाने का फैसला उस समय हुआ जब पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान नवजोत सिद्धू ने विधायक सुखजिंदर रंधावा द्वारा खुद को जाट सिख मुख्यमंत्री के तौर पर पर्यवेक्षकों के सामने पेश किया गया। रंधावा द्वारा अपने नाम की पेशकश रखना नवजोत सिद्धू को नागवार गुजरा, हालांकि कैप्टन विरोधी खेमे में रंधावा और सिद्धू साथ-साथ रहे हैं। रंधावा की दावेदारी के जवाब में सिद्धू ने पर्यवेक्षकों से कहा कि अगर जाट सिख को मुख्यमंत्री बनाना है तो वह खुद (सिद्धू) इस पद के लिए अपनी दावेदारी रख रहे हैं। तब रंधावा ने दलित सिख मुख्यमंत्री के तौर पर चरणजीत सिंह चन्नी का नाम पर्यवेक्षकों के समक्ष रखा, जिस पर पर्यवेक्षकों ने सहमति जताई और पार्टी हाईकमान को भेज दिया। हाईकमान ने भी ज्यादा देरी न करते हुए चन्नी के नाम पर मुहर लगा दी।
पंजाब में पुआध इलाके से चन्नी पहले मुख्यमंत्री
चरणजीत सिंह चन्नी राज्य के पहले ऐसे मुख्यमंत्री भी होंगे, जो माझा, मालवा व दोआबा क्षेत्र से संबंधित न होकर पुआध क्षेत्र से हैं। पुआध इलाका चंडीगढ़ ट्राईसिटी, घग्गर नदी, संगरुर जिले के कस्बा भवानीगढ़, रोपड़ जिले के पश्चिमी इलाके, कालका व अंबाला के कुछ हिस्से तक फैला है। यह इलाका दोआबा के दक्षिण में सतलुज नदी को पार करके उसके किनारे-किनारे लुधियाना जिले के कुछ इलाकों को कवर करता है पूर्व में अंबाला जिले में घग्गर तक और दक्षिण में पटियाला के मध्य से गुजरता है।
रविदासिया समाज से हैं चन्नी
पंजाब के 17वें मुख्यमंत्री के तौर पर सोमवार को शपथ ग्रहण करने जा रहे चरणजीत सिंह चन्नी अनुसूचित जाति से संबंधित होने के साथ रविदासिया समाज से आते हैं। पंजाब में सीएम पद पर इस वर्ग को पहली बार प्रतिनिधित्व मिला है। चन्नी 2007 में पहली बार चमकौर साहिब से विधानसभा चुनाव जीते। बाद में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और 2012 से 2017 तक कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में इसी सीट से चुनाव जीतते रहे। उन्होंने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी का करीबी भी माना जाता रहा है।