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अमर उजाला नेटवर्क, बरेली
Printed by: दुष्यंत शर्मा
Up to date Thu, 14 Oct 2021 12:44 AM IST
सार
मौलाना शहाबुद्दीन ने आर्यन के बहाने पूरी कौम को यह संदेश दे डाला कि बच्चों को दुनियावी तालीम के साथ-साथ दीनी तालीम का दिया जाना भी जरूरी है।
बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान के मामले में बरेलवी उलेमा ने कहां है कि अगर आर्यन को दुनियावी तालीम के साथ-साथ दीनी तालीम भी नहीं गई होती तो वह आज जेल नहीं जाता।
यह कहना है बरेली सिलसिले से जुड़ी तंजीम उलमा-ए-इस्लाम के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी का। उन्होंने आर्यन से जुड़े ड्रग्स मामले में कहा कि शाहरुख खान और उनके बेटे आर्यन मदरसे में पढ़े होते तो जायज, नाजायज मतलब समझ पाते।
मौलाना शहाबुद्दीन ने आर्यन के बहाने पूरी कौम को यह संदेश दे डाला कि बच्चों को दुनियावी तालीम के साथ-साथ दीनी तालीम का दिया जाना भी जरूरी है। यदि बच्चों को दीनी तालीम न दी जाए तो नतीजा शाहरुख खान के बेटे आर्यन जैसा होगा।
उन्होंने कहा कि नशा इस्लाम में हराम है यह बात तभी समझी जा सकती है जब बच्चों को दिन की जानकारी हो। उनका कहना है कि अगर शाहरुख़ अपने बेटे आर्यन को दुनियावी तालिम के साथ ही किसी मदरसे में एक या दो दर्जे तक इस्लामिक तालीम भी दिलाई होती तो उन्हें आज यह दिन नहीं देखना पडता।
मौलाना ने कहा की अगर बच्चा किसी गलत हरकतों में पड़ता है तो सवाल मां बाप पर रुकता है कि उन्होंने कैसी परवरिश दे डाली इसलिए मां बाप को चाहिए कि बच्चे को प्यार से समझाये। साथ ही यह भी कह डाला कि फिल्म इंडस्ट्री में रहने वाले अधिकांश मुसलमान दीन से ना वाकिफ है उन्हें शरीयत की जानकारी नहीं है।
शाहरुख एक बड़ा नाम है एक बड़ी शख्सियत है और उनके बच्चे पर इस तरह की बात आई है ऐसे में यह लगता यह लगता है कि बलिदैन ने बच्चे पर ठीक से ध्यान नहीं दिया उसकी परवरिश पर ध्यान नहीं दिया और न ही इस बात पर गौर किया कि बच्चा किस रुख पर जा रहा है। इसलिए ऐसी नौबत आई।
विस्तार
बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान के मामले में बरेलवी उलेमा ने कहां है कि अगर आर्यन को दुनियावी तालीम के साथ-साथ दीनी तालीम भी नहीं गई होती तो वह आज जेल नहीं जाता।
यह कहना है बरेली सिलसिले से जुड़ी तंजीम उलमा-ए-इस्लाम के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी का। उन्होंने आर्यन से जुड़े ड्रग्स मामले में कहा कि शाहरुख खान और उनके बेटे आर्यन मदरसे में पढ़े होते तो जायज, नाजायज मतलब समझ पाते।
मौलाना शहाबुद्दीन ने आर्यन के बहाने पूरी कौम को यह संदेश दे डाला कि बच्चों को दुनियावी तालीम के साथ-साथ दीनी तालीम का दिया जाना भी जरूरी है। यदि बच्चों को दीनी तालीम न दी जाए तो नतीजा शाहरुख खान के बेटे आर्यन जैसा होगा।
उन्होंने कहा कि नशा इस्लाम में हराम है यह बात तभी समझी जा सकती है जब बच्चों को दिन की जानकारी हो। उनका कहना है कि अगर शाहरुख़ अपने बेटे आर्यन को दुनियावी तालिम के साथ ही किसी मदरसे में एक या दो दर्जे तक इस्लामिक तालीम भी दिलाई होती तो उन्हें आज यह दिन नहीं देखना पडता।
मौलाना ने कहा की अगर बच्चा किसी गलत हरकतों में पड़ता है तो सवाल मां बाप पर रुकता है कि उन्होंने कैसी परवरिश दे डाली इसलिए मां बाप को चाहिए कि बच्चे को प्यार से समझाये। साथ ही यह भी कह डाला कि फिल्म इंडस्ट्री में रहने वाले अधिकांश मुसलमान दीन से ना वाकिफ है उन्हें शरीयत की जानकारी नहीं है।
शाहरुख एक बड़ा नाम है एक बड़ी शख्सियत है और उनके बच्चे पर इस तरह की बात आई है ऐसे में यह लगता यह लगता है कि बलिदैन ने बच्चे पर ठीक से ध्यान नहीं दिया उसकी परवरिश पर ध्यान नहीं दिया और न ही इस बात पर गौर किया कि बच्चा किस रुख पर जा रहा है। इसलिए ऐसी नौबत आई।
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